99 % यकीन था मुझे कि तू मेरी न होगी …. बस उस 1 % ने मुझे किसी और का ना होने दिया।
दिन भर भटकते रहते हैं अरमान तुझ से मिलने के न दिल ठहरता है न इंतज़ार रुकता है …
बहुत खूबसूरत है ना वहम ये मेरा , कि तुम जहाँ भी हो सिर्फ मेरे हो…
तुम से बिछड के फर्क बस इतना हुआ, तेरा गया कुछ नहीँ और मेरा रहा कुछ नहीँ…!
इश्क ना होने के सिर्फ दो ही तरीके थे, या दिल ना होता या तुम ना होते…
वो कागज आज भी फुलों की तरहा महकता है जिस मे उसने मजाक मे लिखा था मुजे तुमसे मोहब्बत है….
चलो अब जाने भी दो,क्या करोगे दास्तां सुनकर, खामोशी तुम समझोगी नहीं,और बयां हमसे होगी नहीं…!!!
देखी है बेरुखी की आज हम ने इन्तेहाँ, हमपे नजर पड़ी तो वो महफ़िल से उठ गए.
जब कभी फुर्सत मिले मेरे दिल का बोझ उतार दो, मैं बहुत दिनों से उदास हूँ मुझे कोई शाम उधार दो.
मिजाज को बस तल्खियाँ ही रास आईं, हम ने कई बार मुस्कुरा कर देख लिया.
कह दूँगी मोहब्बत हुई थी पर जिससे हुई थी वो मोहब्बत के क़ाबिल नहीं था.
सिर्फ़ अल्फ़ाज़ की ही बस बात थी जज़्बात तो वो वैसे भी नहीं समझते.
एक याद है तेरी जो सम्भाली नहीं जाती,एक क़र्ज़ लिया जो अदा हो नहीं सकता.
मैं क्यूँ कुछ सोच कर दिल छोटा करूँ…वो उतनी ही कर सकी वफ़ा जितनी उसकी औकात थी.
चलो माना तुम्हारी आदत हैं तडपाना, मगर जरा सोचो अगर कोई मर गया तो.