विडियो कॉल मत कर पगली, रजाई में से मुहँ निकाला नही जाता.
शायरी सर्दी की ठिठुरती रात में फुटपाथ पर अरमान है दिलबर मुझे छोड़के किसी और पे मेहरबान है.
ठण्ड में वादा नही करते कि दोस्ती निभायेंगे,जरूरत पड़ी तो सब कुछ ले लो, पर रजाई न दे पायेंगे.
रजाई खींचना देशद्रोह के बराबर.
उसके बाद किसी ने चाय नही पिलायी तो “असहिष्णुता माना” जाये.
ब्रेकींग न्यूज – आनेवाले कड़ाके की ठण्डको देखते हुए केन्द्र सरकार का एक बड़ा फैसला,“नयाये हुए व्यक्ति को छुने वाला व्यक्ति भी नहाया हुआ माना जायेगा” जनहित में जारी.
इस सर्दी की ठंडक मेरे दिल में उतर गई है, इसी वजह से मेरी शायरी जम सी गयी है.
वक़्त वक़्त की मोहब्बत है वक़्त वक़्त की रुसवाइयां, कभी ए.सी. सगे हो जाते हैं और कभी रजाइयाँ.
ना मैं दिल में आता हूँ ना समझ में आता हूँ इतनी सर्दी में मैं कहीं नहीं आता-जाता हूँ.
पहन लो आप स्वेटर आपसे यही हैं हमारी गुज़ारिश,मुबारक हो आपको सर्दी की पहली बारिश.
सर्द रातें बड़ा देती हैं सूखे पत्तों की कीमत, वक़्त वक़्त की बात हैं, वक़्त सबका आता हैं.
मौसम इस कदर खुमारी में है ,मेरा शहर भी कश्मीर होने की तैयारी में हैं.
शीतल-शीतल वायु चली, आकाश हुआ सुहाना, अनपढ़ भी व्हाट्सऐप पढ़ने लगे, शिक्षित हुआ ज़माना.
वो गले से लिपट के सोते हैं, आज-कल गर्मियाँ हैं, सर्दी में भी.
लंबी रातों में गर्म यादें, वो सर्द मौसम आने को हैं.
ऐ सर्दी इतना न इतरा, अगर हिम्मत हैं तो जून में आ.