जाम तो उनके लिए है, जिन्हें नशा नहीं होता, हम तो दिनभर “तेरी यादों के नशे में यूँ ही डूबे रहते है.
मोहब्बत भी उस मोड़ पे पहुँच चुकी है, कि अब उसको प्यार से भी मेसेज करो, तो वो पूछती है कितनी पी है.
शाम थी वो कातिल जो उसकी याद ले आई थे हम तनहा हमें मैखाने ले आई साकी ने तो और भी जुल्म ढाया हम पर की छलक गया पैमाना ऐसी आँखों से पिलाई.
तेरी आँखों से यूँ तो सागर भी पिए है मैंने तुझे क्या खबर जुदाई के दिन कैसे जिए है मैंने.
नशा हम करते है इल्जाम शराब को दिया जाता है मगर इल्जाम शराब का नहीं उनका है जिनका चेहरा हमें हर जाम में नजर आता है.
जाम पीकर अपने गम को कहाँ कम किया हमने हर वक़्त तेरी यादो में इन आँखों को नम किया हमने चाहा था तुझे बुलाना पर याद ही किया हमने और जिंदगीके बाद भी कब्र से हाथ निकाल कर तेरा ही इंतजार किया हमने.
रोक दो मेरे जनाजे को ज़ालिमों मुझ में जान आ गयी है पीछे मुड के देखो कमीनो दारू की दुकान आ गयी है.
तोड़कर नाते दुनिया से,बोतल से रिश्ता जोड़ लिया सब कुछ खोकर दुनिया में,शराब से रिश्ता जोड़ लिया.