Rahat Indori Shayari in Hindi

चेहरों के लिए आईने कुर्बान किये हैं, इस शौक में अपने बड़े नुकसान किये हैं,​ महफ़िल में मुझे गालियाँ देकर है बहुत खुश​, जिस शख्स पर मैंने बड़े एहसान किये है.


खाने की चीज़ें माँ ने जो भेजी हैं गाँव से बासी भी हो गई हैं तो लज़्ज़त वही रही.


तेरी हर बात ​मोहब्बत में गँवारा करके​, दिल के बाज़ार में बैठे हैं खसारा करके​, मैं वो दरिया हूँ कि हर बूंद भंवर है जिसकी​,​​ तुमने अच्छा ही किया मुझसे किनारा करके.


आते जाते हैं कई रंग मेरे चेहरे पर, लोग लेते हैं मजा ज़िक्र तुम्हारा कर के.


अंदर का ज़हर चूम लिया धुल के आ गए कितने शरीफ़ लोग थे सब खुल के आ गए.


यहां दरिया पे पाबंदी नहीं है, मगर पहरे लबों पे लग रहे हैं. कभी दिमाग, कभी दिल, कभी नजर में रहो ये सब तुम्हारे घर हैं, किसी भी घर में रहो.


अफवाह थी की मेरी तबियत ख़राब हैं लोगो ने पूछ पूछ के बीमार कर दिया.


तेरी आंखों की हद से बढ़कर हूं, दश्त मैं आग का समंदर हूं कोई तो मेरी बात समझेगा, एक कतरा हूं और समंदर हूं.


रोज़ तारों को नुमाइश में ख़लल पड़ता है चाँद पागल है अँधेरे में निकल पड़ता है.

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