जब भी देखा मेरे किरदार पे धब्बा कोई देर तक बैठ के तन्हाई में रोया कोई.
अभी ज़िंदा है माँ मेरी मुझे कुछ भी नहीं होगा मैं घर से जब निकलता हूँ दुआ भी साथ चलती है.
बहन का प्यार माँ की ममता दो चीखती आँखें यही तोहफ़े थे वो जिनको मैं अक्सर याद करता था.
दुआएँ माँ की पहुँचाने को मीलों मील जाती हैं कि जब परदेस जाने के लिए बेटा निकलता है.
दिया है माँ ने मुझे दूध भी वज़ू करके महाज़े-जंग से मैं लौट कर न जाऊँगा.
जलते भी गये कहते भी गये आजादी के परवाने जीना तो उसी का जीना है, जो मरना वतन पर जाने.
माँ के आगे यूँ कभी खुल कर नहीं रोना जहाँ बुनियाद हो इतनी नमी अच्छी नहीं होती.
बुज़ुर्गों का मेरे दिल से अभी तक डर नहीं जाता कि जब तक जागती रहती है माँ मैं घर नहीं जाता.
एक आँसू भी हुकूमत के लिए ख़तरा है तुम ने देखा नहीं आँखों का समुंदर होना.
चाहता हूँ कोई नेक काम हो जाए मेरी हर साँस इस देश के नाम हो जाए.
दिल में तूफां आँखों में दरिया लिए बैठें हैं ना पूछो हमसे कहानी हमारी हम अपनी पूरी जिंदगी वतन के नाम किये बैठें हैं.
कल अपने-आप को देखा था माँ की आँखों में ये आईना हमें बूढ़ा नहीं बताता है.
बरसों से इस मकान में रहते हैं चंद लोग इक दूसरे के साथ वफ़ा के बग़ैर भी एक क़िस्से की तरह वो तो मुझे भूल गया इक कहानी की तरह वो है मगर याद मुझे.
आँखों से माँगने लगे पानी वज़ू का हम काग़ज़ पे जब भी देख लिया माँ लिखा हुआ.
मैं इस से पहले कि बिखरूँ इधर उधर हो जाऊँ मुझे सँभाल ले मुमकिन है दर-ब-दर हो जाऊँ.
इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है माँ बहुत ग़ुस्से में होती है तो रो देती है.
मसर्रतों के ख़ज़ाने ही कम निकलते हैं किसी भी सीने को खोलो तो ग़म निकलते हैं.
अब जुदाई के सफ़र को मिरे आसान करो तुम मुझे ख़्वाब में आ कर न परेशान करो.
मैं जला हुआ राख नही, अमर दीप हूँ जो मिट गया वतन पर, मैं वो शहीद हूँ.