Mulaqat Shayari in Hindi

दिले तस्वीरे है यार जबकि गर्दन झुका ली, और मुलाक़ात कर ली वो थे न मुझसे दुर,न मै उनसे दूर था आता न था नजर, तो नजर का कसूर था.


ख़्वाहिश यह की उनसे नायाब मुलाक़ात एक बार तो हो जाये ज़िन्दगी भर यादों के सहारे गुज़ारने से बेहतर है रुबरू हो जायें.


मिल कर भी उनसे हसरत-ए-मुलाक़ात रह गई, बादल तो घर आये थे बस बरसात रह गई.


करनी मुझे खुदा से एक फरियाद बाकी है कहनी उनसे एक बात बाकी है मौत भी आ जाये तो कह दूंगी जरा रुक जा अभी मेरे दोस्तो से एक मुलाक़ात बाकी है.


दो बातें कर लेना उनसे ग़र चार न हो सके, ख़्याल ही कर लेना ग़र मुलाक़ात न हो सके.


रोज दीदार हो चाँद का  ये जरूरी तो नहीं  बेपर्दा हो मुलाक़ात उनसे  ये जरूरी तो नहीं.


सब कुछ मिला सकून की दौलत नहीं मिली ! आपसे मुलाक़ात की मोहलत नहीं मिली करने को और भी काम थे मगर ! हमको आपकी याद से फुरसत नहीं मिली.


हम उनसे मिले तो कुछ कह न सके “दोस्तों” ख़ुशी इतनी थी कि मुलाक़ात आंसू पोंछते पोंछते ही गुजर गयी


कुदरत के करिश्मों में अगर रात न होती ख्वाबों में भी फिर उनसे मुलाक़ात न होती.


अभी अभी हमने दर्द को उनके नासूर बना डाला, हमने तो कभी फ़िकर नही की उनसे मुलाक़ात की मगर जाने क्यूँ उन्होंने हमें अपना ग़ुरूर बना डाला.


हुई मुलाक़ात किसी राह पर उनसे अब खोजता हू हर राह पर उनको.


मेरी नजरो को आज भी तलाश हे तेरी बिन तेरे ख़ुशी भी उदास हे मेरी खुदा से मांगा हे तो सिर्फ इतना मरने से पहले आपसे मुलाक़ात हो मेरी.


सुबह को जो नींद से जागे तब रात का ख्याब याद आया गया।। क्या खूब रही थी सपनो में मुलाक़ात आपसे.

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