एक फूल भी अकसर बाग सज़ा देता है एक ही सितारा संसार चमका देता है, जहाँ दुनिया भर के रिश्ते भी काम नहीं आते वहाँ एक प्यार ज़िंदगी बना देता है.
ऐ मोहब्बत तू शर्म से डूब मर, तू एक शख्स को मेरा ना कर सकी.
मिले तो हज़ारो लोग थे किस्मत में, पर वो सबसे अलग था जो किस्मत में नहीं था.
छोड़ दिया हमने उसका दीदार करना, जिसे प्यार की कदर नहीं उससे चाह क्या करना.
ये जो तुझमे हल्का हल्का गुरुर है, ये मेरी ही तारीफ का कसूर है.
अपनी कमजोरियों का जिक्र कभी न करना, जमाने ने कटी पतंग को जमकर लूटा है.
एक ग़ज़ल तेरे लिए ज़रूर लिखूंगा; बे-हिसाब उस में तेरा कसूर लिखूंगा;टूट गए बचपन के तेरे सारे खिलौने;अब दिलों से खेलना तेरा दस्तूर लिखूंगा.
मुस्किलो से कह दो हमसे दूर ही रहा करे, हमे हर हालात में जीना आता है.
उतर के देख मेरी चाहत की गहराई में! सोचना मेरे बारे में रात की तन्हाई में, अगर हो जाए मेरी चाहत का एहसास तुम्हे! तो मिलेगा मेरा अक्स तुम्हे अपनी ही परछाई में.
न वो आ सके न हम कभी जा सके, न दर्द दिल का किसी को सुना सके, बस बैठे है यादों में उनकी, न उन्होंने याद किया और न हम उनको भुला सके.
दर्द ही सही मेरे इश्क का इनाम तो आया, खाली ही सही हाथों में जाम तो आया, मैं हूँ बेवफ़ा सबको बताया उसने, यूँ ही सही, उसके लबों पे मेरा नाम तो आया.
उसने कहा “तुम मे पहले जैसी अब बात नही ! मैने कहा “जिन्दगी में तुम्हारा जो अब साथ नही ! उसने कहा “अब भी किसी की आंखो मे डुब सकते हो ! मैने कहा “किसी की आंखो मे अब वो बात नही.
रोकना मेरी हसरत थी और जाना उसका शौक़ वो अपना शौक़ पूरा कर गया मेरी हसरते तोड़ कर.
कितनी अजीब है मेरे अन्दर की तन्हाई भी, हज़ारों अपने हैं मगर, याद तुम ही आते हो.
बदल जाऊँगा मैं भी इक दिन पूरी तरह, तुम्हारे लिये न सही तुम्हारी वजह से यकीनन.
एक ग़ज़ल तेरे लिए ज़रूर लिखूंगा; बे-हिसाब उस में तेरा कसूर लिखूंगा; टूट गए बचपन के तेरे सारे खिलौने; अब दिलों से खेलना तेरा दस्तूर लिखूंगा.
कुछ रिशते ऐसे होते हैं. जिनको जोड़ते जोड़ते इन्सान खुद टूट जाता है.
प्यार हाथो में लगी मेहंदी की तरह होती है रचती है, खिलती है, और आखिर में छूट जाती है.
एक फूल भी अकसर बाग सज़ा देता है, एक ही सितारा संसार चमका देता है जहाँ दुनिया भर के रिश्ते भी काम नहीं आते वहाँ एक प्यार ज़िंदगी बना देता है.
उस दिल की बस्ती में आज अजीब सा सन्नाटा है! जिस में कभी तेरी हर बात पर महफ़िल सजा करती थी.
सुना है आज उस की आँखों मे आसु आ गये, वो बच्चो को सिखा रही थी की मोहब्बत ऐसे लिखते है.