जिन्दगी तेरी भी, अजब परिभाषा है… सँवर गई तो जन्नत, नहीं तो सिर्फ तमाशा है.
खुशीयाँ तकदीर में होनी चाहिये, तस्वीर मे तो हर कोई मुस्कुराता है.
हम तो पागल हैं शौक़-ए-शायरी के नाम पर ही दिल की बात कह जाते हैं और कई इन्सान गीता पर हाथ रख कर भी सच नहीं कह पाते है.
जिंदगी में वही लोग कामयाबी के शिखर को छुते है… जो बचपन में साइकिल की चैन उतरते ही तुरंत उल्टा पैडल मारकर चढ़ा लिया करते थे.
ज़िन्दगी भी कमाल की हैं, तू गरीबो को महेल के सपने देखाती हैं, जिस में अमीरो को नींद नहीं आती.
ज़िन्दगी को बदल जाने में वक़्त नहीं लगता, कभी-कभी वक़्त को बदल जाने में पूरी ज़िन्दगी लग जाती हैं.
रह में चले ये सोच कर के किसीको अपना बनना लेंगे, मगर इस तम्मना ने ज़िन्दगी भर का मुसाफिर बनना दिया.
ज़िन्दगी तु ही बता कैसे तुजसे प्यार करू, तेरी हर एक सुबह मेरी उम्र काम कर देती हैं.
अरे कितना झुठ बोलते हो तुम खुश हो और कह रहे हो मोहब्बत भी की है.
मुकाम वो चाहिए की जिस दिन भी हारु, उस दिन जीतने वाले से ज्यादा मेंरे चर्चे हो.
हिम्मत को परखने की गुस्ताखी न करना, पहले भी कई तूफानों का रुख मोड़ चुका हूँ.
नींद आए या ना आए, चिराग बुझा दिया करो, यूँ रात भर किसी का जलना, हमसे देखा नहीं जाता.
ज़िंदगी मे डाली से गिरता हुआ पत्ता भी हमे सिखाता है कि अगर तुम बोझ बन जाओगे तो अपने भी तुम्हे गिरा देंगे.
वक्त से पहले मिली चीजें अपना मूल्य खो देती है और वक्त के बाद मिली अपना महत्व.