ईश्वर की कोई परिभाषा नहीं हो सकती। वह तो पूरी डिक्शनरी से भी बहुत बड़ा है।
हर घटना, चाहे वह छोटी हो या बड़ी एक शिक्षाप्रद कहानी की तरह है, जिसके द्वारा ईश्वर हमसे बात करता है, उस सन्देश को समझना, जीवन की कला है.
ईश्वर को आसमान में मत खोजो, उसे अपने अन्दर देखो.
में ईश्वर में विश्वास नहीं करता, इसके लिए तो इच्छा से कोशिश करनी होती है, में तो ईश्वर को चारो और देखता हूँ.
अगर आप ईश्वर को खोजना चाहतें है तो, अपने विचारों के बीच में छूटे हुए स्थान में देखिये.
टुकड़ों में बिखरा हुआ किसी का जिगर दिखाएँगे, कभी आना भूखे सोए बच्चों के माँ बाप से मिलाएँगे.
घर आके माँ-बाप बहुत रोये अकेले में, मिट्टी के खिलौने भी सस्ते ना थे मेले में.
माँ बाप का हाथ पकड़कर रखिये, लोगो के पांव पकड़ने की जरूरत नही पड़ेगी.
सच्चा प्यार ईश्वर कि तरह होता है, जिसके बारे में बातें तो सभी करते हैं लेकिन महसूस कुछ ही लोगों ने किया होता है.
पता नहीं कैसे परखता है मेरा ईश्वर मुझेइम्तिहा भी मुश्किल लेता है और फेल भी नहीं होने देता.
क्यूँ दुनिया वाले प्यार को ईश्वर का दर्जा देते है ?मैंने तो आज तक नहीं सुना कि ईश्वर ने बेवफ़ाई की हो.
मुझे किसी को मतलबी कहने का कोई हक़ नहीं।मैं तो खुद अपने रब को मुसीबतों में याद करता हूँ.
ईश्वर से डरिये, बाकी डर अपने आप दूर हो जायेंगे.
आकाश के देवताओं की पूजा करने से पूर्व अपने माता-पिता की पूजा करो.
मौत ही असली घुसंड है और ऊपर वाला उसे अंत में प्रयोग करता है.
यदि तुम एकदम सही होना चाहते हो, जाओ, अपनी सारी संपत्ति बेच दो और गरीबों को दे दो, और तुम्हे स्वर्ग में खजाना मिलेगा.